
पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली में फ्लू के मामलों में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। इन्फ्लुएंजा बी और H1N1 (स्वाइन फ्लू) के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं। इस बार फ्लू के लक्षण न केवल लंबे समय तक रह रहे हैं, बल्कि उच्च बुखार और गंभीर शारीरिक दर्द के साथ भी जुड़े हुए हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. सुरंजीत चटर्जी के अनुसार, “इस बार के लक्षण न केवल लंबे समय तक चल रहे हैं, बल्कि कई मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता पड़ रही है।”
फ्लू के लक्षण और कारण
फ्लू के सामान्य लक्षणों में बहती नाक, गले में खराश, खांसी, उच्च बुखार, सिरदर्द और थकान शामिल हैं। हालांकि, इस बार के मामलों में लक्षण अधिक गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले हैं। डॉ. चटर्जी के अनुसार, “35 से 40 वर्ष के युवा भी गंभीर शारीरिक दर्द, लगातार खांसी और सीने में दर्द की शिकायत लेकर आ रहे हैं।”
कौन से वायरस हैं जिम्मेदार?
इस बार इन्फ्लुएंजा बी और H1N1 वायरस के मामले अधिक देखे जा रहे हैं। इन्फ्लुएंजा बी मुख्य रूप से मनुष्यों को संक्रमित करता है और यह इन्फ्लुएंजा ए की तुलना में कम आम है। H1N1 वायरस इन्फ्लुएंजा ए का एक उपप्रकार है, जो अधिक गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है।
फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण
- उच्च बुखार
- गले में खराश
- बहती या भरी हुई नाक
- शरीर में दर्द
- सिरदर्द
- ठंड लगना
- थकान
- दस्त और उल्टी
- भूख न लगना
गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ, सीने या पेट में दर्द और अचानक भ्रम की स्थिति जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
फ्लू से निमोनिया का खतरा
कुछ फ्लू वायरस फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सूजन और तरल पदार्थ का जमाव हो सकता है। यह स्थिति बलगम को साफ करने में मुश्किल पैदा करती है, जो बैक्टीरिया के लिए एक अच्छा माध्यम बन जाता है। इससे द्वितीयक संक्रमण हो सकता है।
फ्लू के मामलों में वृद्धि के कारण
- वायरस का म्यूटेशन: फ्लू वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है, जिससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पुराने स्ट्रेन के खिलाफ कम प्रभावी हो जाती है।
- तापमान में बदलाव: मौसम में अचानक बदलाव और तापमान में उतार-चढ़ाव वायरस के तेजी से फैलने का कारण बनता है।
- वायु प्रदूषण और पराग: प्रदूषण और पराग वायरस के प्रसार को और तेज करते हैं।
कौन है अधिक जोखिम में?
- इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड व्यक्ति: जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
- सह-रुग्णता वाले लोग: मधुमेह, हृदय रोग या अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग।
- बुजुर्ग और बच्चे: इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
- गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
क्या करें और क्या न करें?
- डॉक्टर से कब संपर्क करें? यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहें या बिगड़ें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- एंटीबायोटिक्स न लें: एंटीबायोटिक्स वायरस पर काम नहीं करते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें।
- फ्लू वैक्सीन: हर साल फ्लू वैक्सीन लगवाएं। यह वैक्सीन वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी होती है।
बचाव के उपाय
- मास्क पहनें: भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें।
- हाथों की सफाई: नियमित रूप से हाथ धोएं या सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- तरल पदार्थ का सेवन: शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पिएं।
- आराम करें: पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें।
दिल्ली में फ्लू के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों के साथ इससे बचा जा सकता है। यदि आप या आपके परिवार के किसी सदस्य में फ्लू के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित उपचार शुरू करें।
नोट: यह लेख सिर्फ सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।